सोमवार, 28 दिसंबर 2009

ब्रह्मांड के नियम और भारतीय दर्शन

ई दिनों से ब्लॉग से दूर रहा हूँ,नौकरी की व्यस्तता आपको समय नहीं लेने देती..पर जैसा कि मैंने अपने कई साथियों को कहा है कि जब जितना भी समय मिलेगा ज्योतिष को अवश्य दूंगा.पिछली बार पोस्ट लिखने के बाद इंडिक ट्रांसलिटरेशन ने धोखा देदिया.काफी लिखा था पर सब उड़ गया.इसके बाद कई दिनों से लिखने का मन नहीं हुआ.अब फिर शुरू कर रहा हूँ.
अंतर चेतना का समय रेखा से गहरा नाता है यह में पिछली पोस्ट में स्पष्ट कर चुका हूँ.ब्रह्मांड के नियम और भारतीय दर्शन दोनों की गहरी समझ ही आपको इसके पीछे के सिद्धांत स्पष्ट करने में सहायक हो सकती है.जैसा हम जानते है.बिगबैंग से ब्रह्मांड का आरम्भ हुआ है.ब्रह्मांड के विस्तार के सिद्धांतो में आधुनिकतम सिद्धांत स्ट्रिंग थियोरी है.स्टीफन हाकिंग ने अपनी पुस्तक 'ब्रीफ हिस्टरी ऑफ़ टाइम' में एक ऐसे सिद्धांत की आवश्यकता पर जोर दिया जो प्रकृति के सभी मूल भूत बलों की एक साथ व्याख्या कर सके,इसे उन्होंने 'द थ्योरी ऑफ़ एवरीथिंग'. इस सिद्धांत के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा क्षीण गुरुत्वाकर्षण बल को जो अन्य मूल बलों के सामने नगण्य है को इस थ्योरी में फिट करने में आने वाली मुश्किल है.प्रकृति में चार तरह के मूल बल है जो गुरुत्वाकर्षण बल ,विद्युत् चुम्बकीय बल,क्षीण नाभिकीय बल और प्रबल नाभिकीय बल है.इसी तरह से मैटर के मूल पार्टिकल्स को क्वार्क्स(अप,डाउन,चरम, स्ट्रेंज,बाटम और टॉप) लेपटांस(इलेक्ट्रोन,म्युआन,ट्युआन और न्यूट्रिनो).
सभी मूल बल मूल भूत कणों द्वारा उत्पन्न होते है.विद्युत् चुम्बकीय बल फोटोंस से,गुरुत्वाकर्षण बल ग्रेविटोंस से,प्रबल नाभिकी बल आठ प्रकार के ग्लुओंस से और क्षीण नाभिकीय बल तीन तरह के पार्टिकल्स डब्लू+,डब्लू- और जेड से प्रसारित होते है.स्ट्रिंग थ्योरी में इन पार्टिकल्स को एक तरह से स्पंदन करने वाली स्ट्रिंग्स का समूह माना गया है और इस प्रकार इस थ्योरी से 'थ्योरी आफ एवरीथिंग' की और विज्ञान बढ़ा है.
ब्रह्मांड की व्याख्या में आगे की आधुनिक खोजें 'एम- थ्योरी' पर आस लगाये हुए है.रोचक बात यह है कि 'एम-थ्योरी' ब्रह्माण्ड के ग्यारह आयामों की अवधारणा की स्थापना करती है.हम जब आयामों की बात करते है तो हमारी फ्रेम में लगी फोटो लम्बाई और चौड़ाई के दो आयामों में होती है,इसमें गहराई को जोड़ने पर हम तीसरे आयाम को समझ सकते है.समय चौथा आयाम है जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति के साथ उत्पन्न हुआ है.इसके अलावा किसी आयाम के बारे में हम नहीं जानते.'एम-थ्योरी' ऐसी मेम्ब्रेंस की कल्पना करती है जो दस आयाम में फैली है जिसमे ब्रह्मांड समाहित है.ऐसे अनंत ब्रह्मांड मेम्ब्रेंस के रूप में शून्य से उत्पन्न हो रहे है.उसके साथ ही समय और ग्यारह आयामी विश्व की रचना होती है.अन्य सात आयाम में कई अत्यंत सूक्ष्म हो सकते कईयों का विस्तार ब्रह्मांड की सीमा तक हो सकता है.गुरुत्वाकर्षण बल का प्रसार अन्य आयामों तक होने के कारण हमारे आयाम में गुरुत्वाकर्षण बल अपनी ऊर्जा अन्य आयाम में खोकर दुर्बल रूप से मौजूद है.यही 'थ्योरी आफ एवरीथिंग' है.
मैंने यह सब संक्षिप्त में इसलिए स्पष्ट किया है कि हम अपने दिमाग की संकुचितता को छोड़ कर चेतना आधारित भारतीय दर्शन को अलग तरह से स्वीकार कर सकें.नागार्जुन का शून्यवाद और शंकर का ब्रहम जिस शून्य की कल्पना करता है उसकी तुलना शून्य से उत्पन्न होने वाले ब्रह्मांड से की जा सकती है.स्थूल जगत,सूक्ष्म जगत और कारण जगत की भारतीय कल्पना और सप्त लोक की अवधारणा आश्चर्य जनक रूप से अन्य सात आयामों की अवधारणा के निकट है.एक ऐसे आयाम में जहाँ गुरुत्वाकर्षण बल करोड़ों गुना अधिक है सूक्ष्म जगत और सूक्ष्म शरीर का अस्तित्व संभव है.शरीर में सप्त चक्र और कुंडलिनी की अवधारणा यह सब मुझे ब्रह्मांड के विस्तृत संदर्भो में जोड़ना रोचक और अभिभूत कर देने वाला लगता है.यह कितना प्रमाणिक अथवा अप्रमाणिक है इसके बारे में विचार किये बिना मुझे मेरा अंतर्ज्ञान इस पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है.
मेरा मानना है कि कई सूक्ष्म आयाम हमारी अंतर्चेतना के ऊर्जा चक्रों में स्थित है या हम अपनी अंतर्चेतना कि मदद से इन आयामों के पार जा सकते है.शायद यही भूमिका हमारी अंतर्चेतना की समय रेखा के पार झाँकने के प्रयासों में है.ज्योतिषीय गणनाएं इसके लिए अच्छा उपकरण है.ज्योतिष में अंतर्चेतना के प्रयोग पर वैसे तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है पर हम अब इस पर विषयांतर नहीं होने देना चाहते है.हम आगे के अंको में ऊर्जात्मक सिद्धांतो के आधार पर ज्योतिष की व्याख्या पर केन्द्रित रहेंगे.

10 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया जानकारी...


    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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  2. आपकी प्रतिभा पर हैरान हूँ इतना ग्यानवर्द्धक आलेख पढ कर प्रसन्नता हुयी। पिछले आलेख भी समय मिलते ही पढूँगी। धन्यवाद्

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  3. आपके ब्लॉग पढे। बहुआयामी प्रतिभा। हिंदी पर भी आपकी अचछी पकड है।
    आपके time management का क्या राज है। :)
    अब आपके लिये एक प्रश्न्…
    मेरा जन्म 29 मार्च 1983 को सन्ध्या 6:27 पर हुआ था।(83 की होली को शाम 6:27, सहुलियत के लिये)
    अब सवाल यह है की सिर्फ़ इस सूचना से आप मेरे बारे मे क्या बता सकते हैं,कुछ भी व्यक्तिगत, आर्थिक या सामाजिक्।
    ऐसा नही है कि मै ज्योतिष को नही मानता पर अभी तक वैग्यानिक तरिके से कोइ इसे समझा सके, ऐसा नही मिला।
    धन्यवाद॥

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  4. माफ़ करे…जन्म स्थान और नाम लिखना भुल गया।
    जन्म स्थान पटना और नाम अमितेश्वर आनन्द।
    उत्तर का इन्तजार रहेगा।

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