सबसे पहले आप सबके उत्साह वर्धक प्रतिक्रियाओं के लिए आभार.ढेर सारे मेल प्राप्त हुए उनके प्रश्नों के उत्तर मेल से देने का प्रयास करूंगा.पहले यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि ज्योतिष के सिद्धांतो के आधार पर आपके प्रश्नों के वस्तुनिष्ठ उत्तर दिए जाने का प्रयास करूंगा साथ ही कुंडली की ऊर्जा रेखाओं से जो कुंडली को बल देने वाले कारको के आधार पर भविष्य के संभावित बदलावों की परास सपष्ट करने का प्रयास करूंगा.इसमें कोई त्रुटी होने पर संख्यात्मक आंकडों के आधार पर किसी नियम पर पहुँचने का प्रयास किया जाएगा.पिछली पोस्ट पर राजेश्वर वशिष्ठ जी का प्रश्न इस प्रकार है-
प्रश्न -भारतीय धर्म-दर्शन के प्रवक्ता प्रचारक के रूप में सफलता कब मिलेगी ? कब तक अरुचिकर नौकरी को ढोना होगा?
राजेश्वर जी की कुंडली कर्क लग्न की है चौथे भाव में वक्री गुरु राहु के साथ चंडाल योग (ऊर्जात्म्क सिद्धांत के अनुसार इसे शार्ट सर्किट की तरह से ले सकते है जिसमे विपरीत ऊर्जा धाराएं अवांछित तरीके से ऊर्जा क्षय करती है)धर्म दर्शन के प्रवक्ता के लिए गुरु का प्रभावी होना आवश्यक है जो आपकी कुंडली में नहीं है.आपकी कुंडली में सप्तम भाव में उच्च का मंगल एवं मित्र राशिगत शुक्र है.मंगल शुक्र की युति एवं चन्द्रमा से दृष्ट होने से भौतिक कामनाओं के प्रति जातक की प्रबल लालसा भी आपको धर्म दर्शन के प्रति जोड़े नहीं रख पाती है.अतः मानसिक रूप से इस कुंडली का जातक धर्म और दर्शन के प्रति गहराई से नहीं जुड़ सकता.हाँ दुसरे भाव जो कि वाणी का कारक होता है का स्वामी नवम भाव में गुरु की राशि में होने से आपकी वाणी में अद्वितीय ओज और तेजस्विता होगी.इसके कारण आप धार्मिक विषयों पर धारा प्रवाह रूप से बोल सकते है.नवम भाव आपका प्रारब्ध और जन मानस में आपकी लोकप्रियता को भी बताता है.इसमें आप सफल होंगे.आपकी ऊर्जा धाराओं की समग्रता यह बताती है कि आप राजनीति में सफल होने वाले है.
आपकी के दशम भाव में केतु होने से उच्च का मंगल से दृष्ट होने से एवं नवांश में मंगल शुक्र की राशि में होने से आप सृजनात्मकता के अतिरिक्त अन्य नौकरी या व्यवसाय से असंतुष्ट रहेंगे.आप अधिकार पसंद व्यक्ति होने से भी किसी की अधीनता में कार्य करना अरुचिकर होगा.जुलाइ २०११ से सूर्य की महादशा आरम्भ होने पर आपको अपने दोनों प्रश्नों के उत्तर अनुकूल मिलेंगे.
इस कुंडली में धन वाणी और कुटुंब भाव अपार ऊर्जा लिए है.क्योंकि इसका स्वामी नवम भाव में मित्र राशि में है.कर्क लग्न में उच्च का मंगल लाभेश शुक्र के साथ राजयोग कारक है.चौथे और दशम भाव में राहु केतु की उपस्थिति नकारात्मक ऊर्जा प्रवाह बनाती है.जो मंगल बुध एवं गुरु के ऊर्जा प्रवाहो के नियंत्रण में है.अर्थात इन तीन ग्रहों के प्रभावों का उपयोग कर आप राजयोग प्राप्त कर सकते है.इस प्रकार इस कुंडली की परास सम्पतिहीन राज्य हीन होने से लेकर जातक को सफल राजनेता अधिकारी बनाने तक है।
(मैं ज्योतिष के इस ब्लॉग में उर्जात्मक ज्योतिष सिद्धांतो के आधार पर कुछ प्रयोग करने के प्रयास करना चाहता हूँ.अगर आप अपनी किसी जिज्ञासा पर चर्चा करना चाहते है तो अपना नाम ,जन्म स्थान,जन्म तिथि,जन्म समय,और प्रश्न इ मेल करें.साथ में यह भी लिखे कि आप के प्रश्न पर सार्वजनिक चर्चा ब्लॉग पर की जाए या नहीं.मैं पूरा प्रयास करूंगा कि सभी लोगों के प्रश्नों के उत्तर उन्हें मेल करुँ पर अधिक प्रश्न होने की वजह से ऐसा ना कर पाऊं तो सुधि पाठक मुझे क्षमा करें.
साथ ही यह ब्लॉग सकारात्मक चर्चा के लिए है...मान्यता वैज्ञानिकता,बहस बाजी इत्यादि के लिए कृपया अपना और मेरा समय खराब न करे.आपको परिणाम उपयोगी लगे तो इसमें भाग ले अन्यथा आप इससे किनारा कर सकते है.)
प्रकाश
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आपके मार्गदर्शन के लिए कृतज्ञ हूँ...
जवाब देंहटाएंsaf kahna sukhi rahna.narayan narayan
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभ कामनाएं !
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मुझे आपके इस सुन्दर से ब्लाग को देखने का अवसर मिला, नाम के अनुरूप बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने इन्हें प्रस्तुत किया आभार् !!
खूबसूरत भावाभिव्यक्ति।
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी मिली | पढ़कर अच्छा लगा | आपकी प्रोफाइल बड़ी झक्कास है |
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